आपका जन्म सन 1869 में दिल्ली में हुआ था।
आपने B.A.पास करने करने के बाद लाहौर सेंट्रल ट्रेनिंग कॉलेज से B.T. की डिग्री ली ।
क्रांतिकारी संगठन का उत्तरप्रदेश व पंजाब का काम आप संभालते थे।रासबिहारी बॉस के नेतृत्व में देश मे कई स्थानों पर एक साथ बम्ब विस्फोट कर फ़िरंगी अधिकारियों का वध करने का एक्शन लिया गया था।
इसी क्रम दिनाँक 23 दिशम्बर 1912 को दिल्ली व दिनाँक 17 मई 1913 लाहौर लॉरेंस गार्डन में बम्ब विस्फोट किये गए।
लॉरेंस गॉर्डन एक्शन आपने संम्पन्न किया था।
इस बम्ब की टोपी बसंत कुमार से मिलकर आपने ही लगाई थी।
आपको मास्टर अमीरचंद के कलकत्ता में राजा बाजार स्तिथ मकान में गिरफ्तार किया गया था।
वहां बम्ब की टोपी व लाहौर से M S द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र बरामद हुआ। जिसके बारे में पुलिस को पता चल गया कि यह दीनानाथ का लिखा हुआ है ।
दीनानाथ गिरफ्तार हुआ तो उसने पुलिस को सब कुछ उगल दिया ।
वॉयसराय हार्डिंग पर हुए बम्ब हमले के लिए दिल्ली-लाहौर षड्यंत्र या दिल्ली षड्यंत्र के नाम से सम्राट के विरुद्ध युद्ध करने के लिए आप सहित मास्टर
अमीरचंद ,बालमुकुंद व बसंत कुमार बिस्वास को उम्रकैद की सजा दी गई थी । पर ओ डायर द्वारा अपील किये जाने पर सभी को फांसी की सजा दी गयी।
इस योजना में प्रतापसिंह जी बारठ व उनके बहनोई भी शामिल थे ।क्रांतिकारी कभी भी किसी दूसरे क्रांतिकारी का नाम नहीं बताते थे इसलिए जो पकड़े गये उन्होंने और किसी का नाम नहीं बताया हो ।
इस एक्शन की गहराई शोध का विषय है।
आप अक्सर गुनगुनाते थे-
” एहसान ना ख़ुदा का उठाएं मेरी बला,
किश्ती ख़ुदा पै छोड़ दूँ लंगर को तोड़ दूँ !
आपको 11 मई 1915 को अंबाला जेल में फांसी दी गई थी।
फाँसी से पहले आपसे एक अंग्रेज ने अंतिम इच्छा पूछी आपने उत्तर दिया – “यही कि अंग्रेजी साम्राज्य नष्ट भ्रष्ट हो जाए “।
आपने हंसते हुए फांसी का फंदा अपने हाथों पहना व ‘वंदेमातरम ‘ का शंखनाद करते हुए स्वतंत्रता संग्राम के यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति दी।
शत शत नमन शहीदों को
(चाँद फाँसी से संकलित)