आपका जन्म सन 1889 में गांव खरियाला जिला झेलम ,पंजाब में हुआ था। आपने लाहौर डी. ए. वी. कॉलेज से B.A. पास की और उसके बाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में कूद पड़े।
रासबिहारी बोस के नेतृत्व में समस्त भारत में एकल क्रांतिकारी संगठन का गठन किया गया।
जिसमे आपको लाहौर में संगठन का भार सम्भलाया गया था दल की ओर से आपने कई बार “लिबर्टी “नामक क्रांतिकारी पर्चा वितरित किया ।
दल द्वारा दिनाँक 23 दिशम्बर 1912 को दिल्ली में वॉयसराय हॉर्डिंग को व दिनाँक 17 मई 1913 की फ़िरंगियों के सिविल ऑफिसर्स को उड़ाने हेतु लॉरेंस गार्डन लाहौर में बम्ब हमले किये गए ।
दोनों ही एक्शन के बाद कोई गिरफ्तार नहीं हुई। दिल्ली एक्शन से सरकार की जड़े हिलती हुई महसूस होने लगी । पुरजोर देशभर में गिफ्तारियां कई गई । इसी क्रम में कलकत्ता में राजा बाजार स्तिथ मकान में अवधबिहारी के साथ ही बम्ब की टोपी तथा लाहौर से M S द्वारा हस्ताक्षररित एक बरामद हुआ जिसके बारे में पुलिस को पता चल गया कि दीनानाथ का लिखा हुआ है ।
दीनानाथ गिरफ्तार हुआ तो उसने पुलिस को सब कुछ उगल दिया ।इस बयान के आधार पर आपकी गिरफ्तारी हुई ।
फ़िरंगियों ने दिल्ली-लाहौर षड्यंत्र या दिल्ली षड्यंत्र के नाम से सम्राट के विरुद्ध युद्ध करने के लिए मास्टर अमीरचंद ,अवधबिहारी, बसंत कुमार बिस्वास व आपको उम्रकैद की सजा दी गई ।
पर ओ डायर द्वारा अपील किये जाने पर सभी को फांसी की सजा दी गयी।
इसी क्रम में लाहौर लॉरेंस गार्डन में हुए बम्ब विस्फोट एक्शन में आप भी शामिल थे ।
आप सभी के विरुद्ध स्पष्ट सबूत नहीं था । केवल शक के आधार पर आपको आरोपित कर सज्जाएँ मौत दी गई।
आपकी गिफ्तारी के दिनों आप जोधपुर के राजकुमार को शिक्षा दे रहे थे।
आपको दिल्ली जेल में दिनाँक 8 मई 1915 को फाँसी दी गई थी।
शत शत नमन शहीदों को