कालीपद मुखर्जी

    

आप इच्छपुरा के क्रांतिकारी दल में सदस्य थे। सविनय अवज्ञा आंदोलन के समय कामाख्या प्रसाद सेन स्पेशल मजिस्ट्रेट थे।


जिसने सविनय अवज्ञा आंदोलन की महिला क्रांतिकारियों के साथ अपमानजनक व्यवहार किया था। महिलाओं को भी गालीयां दी व बेंतो से पिटवाया था ।


इसके कारण कामाख्या प्रसाद  इच्छपुरा के क्रांतिकारियों के टारगेट पर था।

कामाख्या प्रसाद  था। छुट्टी लेकर ढाका आया हुआ था । ढाका में डिविज़नल अधिकारी के घर रुके हुये थे।


 
कालीपद मुखर्जी कामाख्या प्रसाद सेन का पीछा करते हुए ढाका गए और ढाका में पटवाटोली के एक दर्जी के पास रुक गए।

उन्होंने टारगेट की सही स्तिथि को समझ लिया व  27 जून को 1932 को कामाख्या प्रसाद मच्छरदानी लगा कर सोए हुए थे।

कालीपद कमरे में घुसे व मच्छरदानी में हाथ डालकर पिस्तौल से तीन गोली मार कर कामाख्या का वध किया।

अपना काम करने के बाद कालीपद ने  दर्जी की मार्फत एक तार भेजा जिसमें लिखा था – “कामाख्या का ऑपरेशन सफल रहा है – प्रेषक सुरेंद्र मोहन चक्रवर्ती”

तारघर वालों को शक हो गया उन्होंने उस दर्जी को बिठाए रखा और पुलिस को बुला लिया।

जिससे सारा भेद खुल गया ।। पुलिस ने  दर्जी की दुकान से कालीपद मुखर्जी को  गिरफ्तार कर लिया गया ।

कालीपद ने विशेष न्यायालय में कामाख्या प्रसाद को मारने का अपराध स्वीकार करते हुए कहा-
इसने महिलाओं के साथ  अपमानजनक ,अभद्र व्यवहार किया था । इसलिए मैंने उसे मार डाला है

कालीपद मुखर्जी को अदालत ने  8 नवंबर 1932 को फांसी की सजा सुनाई।

आपको दिनाँक16 फरवरी 1933 को कालीपद को ढाका केंद्रीय जेल में फांसी दे दी गई।

शत शत नमन