आपका जन्म सन 1869 में हैदराबाद में हुआ था। आप दिल्ली के दो विद्यालय में बच्चों को निःशुल्क पढ़ाते थे।
आप उर्दू ,संस्कृत व अंग्रेजी भाषा के ज्ञाता थे।
लाला हरदयाल के इंग्लैंड जाने के बाद उनके क्रांतिकारी दल का काम ही संभालते थे।
आप स्वदेशी समर्थक थे । आपने सन 1912 में स्वदेशी प्रदर्शनी का भी आयोजन किया ।
आप रासबिहारी बॉस के सम्पर्क में थे।
रासबिहारी बॉस के नेतृत्व में देश मे कई स्थानों पर एक साथ बम्ब विस्फोट कर फ़िरंगी अधिकारियों का वध करने का था।
इसी क्रम में दिल्ली व पंजाब में बम्ब डाल कर आक्रमण किये गए।
अंग्रेजों ने पहले भारत की राजधानी कलकत्ता को बनाया हुआ था । बंगाल में क्रांतिकारियों द्वारा निरंतर ब्रिटिश अधिकारियों पर आक्रमण किए जा रहे थे एवं हत्या की जा रही थी।
जिससे डर कर अंग्रेजों ने कलकत्ता से दिल्ली को राजधानी बनाया।
भारतीय क्रांतिकारी फ़िरंगियों को यह महसूस करवाना चाहते थे कि तुम दिल्ली तो क्या लंदन में भी सुरक्षित नहीं रह सकोगे।
दिनाँक 23 दिशम्बर 1912 को वायसराय हार्डिंग की सवारी का जुलूस निकाला जा रहा था। पूरी सुरक्षा व्यवस्था थी ।
जब जुलूस चाँदनी चौक में पंजाब नेशनल बैंक के पास पहुँचा तो क्रांतिवीरों ने वॉयसराय हार्डिंग की सवारी पर बम्ब फेंका दुर्भाग्य से हार्डिंग बच गया पर अंगरक्षक मारा गया । भारी मात्रा में कई गई सुरक्षा का वीरों ने निष्फल कर दिया व कोई भी क्रांतिकारी मौके पर नही पकड़ में नहीं आया।इस आक्रमण से फ़िरंगियों के होश उड़ गए।
इस योजना में प्रतापसिंह जी बारठ व उनके बहनोई भी शामिल थे ।क्रांतिकारी कभी भी किसी दूसरे क्रांतिकारी का नाम नहीं बताते थे इसलिए जो पकड़े गये उन्होंने और किसी का नाम नहीं बताया हो ।
इस एक्शन की गहराई शोध का विषय है।
इस एक्शन के लिए फ़िरंगियों ने दिल्ली-लाहौर षड्यंत्र या दिल्ली षड्यंत्र के नाम से सम्राट के विरुद्ध विद्रोह करने का मामला चलाया गया। मास्टर अमीरचंद को 19 फ़रवरी 1914 को गिरफ्तार किया गया।
इस केस में मास्टर अमीरचंद ,अवध बिहारी, बालमुकुंद व बसंत कुमार बिस्वास को उम्रकैद की सजा दी गई पर ओ डायर द्वारा अपील किये जाने पर सभी को फांसी की सजा दी गयी।
मास्टर साहब के खिलाफ इनके ही दत्तक पुत्र सुल्तान चंद ने गवाही दी थी।जिसे मास्टर साहब की समस्त सम्पति प्राप्त हुई थी।
शत शत नमन शहीदों को