:-  बसंतकुमार बिश्वास -:

    
आपका जन्म 6 फ़रवरी 1895 को गांव पोरागाचा जिला नादिया पश्चिमी बंगाल में हुआ था।
  आप रासबिहारी बोस के सानिध्य में थे तथा क्रांतिकारी दल “युगान्तर “के सक्रिय सदस्य थे।  
आप देहरादून में रासबिहारी बॉस के नोकर हरिदास के रूप में रहे थे।  लाहौर में एक क्लीनिक में कंपाउंडर बन कर रहे।
आप भाई बालमुकुंद के साथ पंजाब में संगठन का कार्य देख रहे थे।
दल द्वारा दिनाँक 23 दिशम्बर 1912 को दिल्ली में वॉयसराय हॉर्डिंग को व दिनाँक 17 मई 1913 को फ़िरंगियों के सिविल ऑफिसर्स को उड़ाने हेतु  लॉरेंस गार्डन लाहौर में बम्ब हमले किये गए ।
दोनों ही एक्शन के बाद कोई गिरफ्तार नहीं हुई।
वॉयसराय हार्डिंग पर औरत के वेष में बम्ब फेंका गया। अब तक प्राप्त कुछ सामग्री के अनुसार प्रतापसिंह बारठ भी पंजाब नेशनल बैंक ,जहां से बम्ब फेंका गया ,पर बुर्का पहने हुए थे और बम्ब उनके पास भी था तथा उन्होंने दीवार की ऊंचाई के आधार पर बम्ब फेंकने का पूर्व अभ्यास भी किया था।
इस पर अभी गहन अध्ययन की आवश्यकता है।
क्रांतिकारी एक्शन में टीम वर्क होता था। कोई टारगेट की सूचना देता ,

कोई टारगेट पर फायर या बम्ब फेंकता ,मुख्य एक्शन कर्ता के साथ एक और सहायक होता था जो हमले के बाद सुनिश्चित करता था कि काम पूर्ण हुआ या नहीं।

अगर टारगेट में कोई कमी होती तो सहायक पूर्ण करता था। यही सम्भव है कि आप व बारठ  दोनों ही इस एक्शन पर काम कर रहे हो ।

दिल्ली एक्शन से सरकार की जड़े हिलती हुई महसूस होने लगी । पुलिस ने पुरजोर देशभर में छापे मारे व हर संदिग्ध व्यक्ति को गिरफ्तार किया ।
इसी क्रम में कलकत्ता में  राजा बाजार स्तिथ मकान में छापा मारा गया व अवधबिहारी को गिरफ्तार किया गया ।
मकान में बम्ब की टोपी तथा लाहौर से M S द्वारा हस्ताक्षररित एक पत्र बरामद हुआ । जिसके बारे में पुलिस को पता चल गया कि दीनानाथ का लिखा हुआ है ।
दीनानाथ गिरफ्तार हुआ तो उसने पुलिस को सब कुछ उगल दिया ।इस बयान के आधार पर दिनाँक 26 फ़रवरी 1914 आपकी गिरफ्तारी हुई ।
फ़िरंगियों ने दिल्ली-लाहौर षड्यंत्र या दिल्ली षड्यंत्र के नाम से सम्राट के विरुद्ध   युद्ध करने के लिए  मास्टर अमीरचंद  ,अवधबिहारी,  भाई बालमुकुंद व आपको उम्रकैद की सजा दी गई ।
पर ओ डायर द्वारा अपील किये जाने पर सभी को  फांसी की सजा दी  गयी। 
आप लाहौर लॉरेंस गार्डन में हुए बम्ब विस्फोट एक्शन में आप भी शामिल थे
आपको अम्बाला केंन्द्रीय कारागर  में दिनाँक 11 मई 1915 को फाँसी दी गई थी।
शत शत नमन शहीदों को