वांची अय्यर

वांची अय्यर: एक वीर क्रांतिकारी का साहसिक कदम

वंचिनाथन या वांची अय्यर, तिरुनेलवेली जिले, तमिलनाडु के निवासी थे। उनका जन्म 1880 में हुआ था, और वे एक ऐसे क्रांतिकारी थे जिनका समर्पण और साहस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान आदर्शों का प्रतीक बन गया।

शिक्षा और संघर्ष की शुरुआत

वांची ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा तिरुनल महाराजा कॉलेज से प्राप्त की, जहां से उन्होंने MA की डिग्री हासिल की। उनकी शिक्षा के दौरान ही वे बंगाल के क्रांतिकारी गुप्त संगठनों अनुशीलन समिति और जुगांतर से प्रभावित हुए। उनका विश्वास था कि यूरोपीय लोग सनातन धर्म पर आक्रमण कर रहे हैं, और इसे बचाने के लिए भारत को स्वतंत्र होना चाहिए।

वांची अय्यर सनातन धर्म के अनुयायी थे, और उन्होंने भारत माता एसोसिएशन से जुड़कर नीलकंठ ब्रह्मचारी के नेतृत्व में भारत में विदेशी शासन के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्प लिया था। इस संगठन का उद्देश्य भारत में यूरोपीय लोगों द्वारा सनातन धर्म पर किए जा रहे हमलों का विरोध करना था।

कलेक्टर ऐश की हत्या की योजना

वांची अय्यर ने त्रावणकोर फॉरेस्ट विभाग में नौकरी की थी, लेकिन उनका दिल और मन देश की स्वतंत्रता के लिए कार्य कर रहा था। तिरुनवेली के कलेक्टर रॉबर्ट विलियम एस्कॉर्ट ऐश ने वीर सावरकर को आजीवन कारावास की सजा दी थी, जिसके कारण वीर सावरकर ने ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ योजना बनाई थी।

सावरकर के सहयोगी VVS अय्यर ने वांची अय्यर से मिलकर इस हत्या की योजना तैयार की। वांची ने इस मिशन को अंजाम देने के लिए तीन महीने का अवकाश लिया और पॉन्डिचेरी में रिवॉल्वर चलाने का प्रशिक्षण लिया।

ऐश की हत्या और आत्मबलिदान

17 जून 1911 को वांची अय्यर ने अपने मिशन को अंजाम देते हुए रॉबर्ट विलियम ऐश को मनियांची रेलवे स्टेशन पर पास से गोली मारकर हत्या कर दी। वांची ने यह कदम अकेले उठाया, और अपने देश की स्वतंत्रता के लिए अपूर्व साहस का परिचय दिया।

लेकिन वांची अय्यर की वीरता यहीं खत्म नहीं होती। वह नहीं चाहते थे कि अगर उन्हें गिरफ्तार किया गया, तो उन्हें शारीरिक यातनाएँ दी जाएं और क्रांतिकारी दल के बारे में पूछताछ की जाए। इसलिए, वांची ने अपनी वीरता के साथ अपना मिशन पूरा किया और मौके पर ही आत्महत्या कर अपनी शहादत दी।

शंकरन से वांची तक

वांची का वास्तविक नाम शंकरन था, लेकिन उनका क्रांतिकारी नाम वांची अय्यर था। उन्होंने अपना जीवन अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए समर्पित किया, और उनकी शहादत आज भी हमें प्रेरित करती है।

शत-शत नमन इस महान क्रांतिकारी को, जिनकी शहादत ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी और हमें यह सिखाया कि जब देश की स्वतंत्रता की बात हो, तो अपनी जान की परवाह नहीं करनी चाहिए।