मिदनापुर या मेदिनीपुर पश्चिम बंगाल का जिला मुख्यालय है।
मिदनापुर 1902 से ही क्रांतिवीरों का कर्म क्षेत्र रहा है।
यहां पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस द्वारा गठित क्रांतिकारी दल ” बंगाल वॉलिंटियर्स ” के क्रांतिकारी सक्रिय रुप से आंदोलनरत थे ।
मिदनापुर में अंग्रेज अधिकारी को कलेक्टर लगाया जाता था जो क्रांतिकारियों के साथ अमानवीय व्यवहार करते थे।
इससे व्यथित क्रांतिवीरों ने यह निर्णय लिया कि मिदनापुर के अंग्रेज कलेक्टरों को तब तक मारा जाय जब तक भारतीय अधिकारियों की नियुक्ति नहीं होती।
इस एक्शन का प्रथम शिकार मिस्टर जेम्स पैड्डी , कलेक्टर मिदनापुर दिनांक 7 अप्रैल 1931 को स्कूल की प्रदर्शनी में गए हुए थे।
हाई स्कूल के दो छात्रों विमल दास गुप्त व यति जीवन घोष ने पैडी साहब को गोलियों से उड़ा दिया। अगले दिन पैड्डी की मृत्यु हो गई।
बाल क्रांतिकारी मौका से भागने मे सफल रहे । कोई पता नहीं चला।
इसके बाद मिदनापुर में कलेक्टर मिस्टर रॉबर्ट डग्लस की नियुक्ति की गई।
क्रांतिकारी अपने निर्णय पर अडिग थे ।
मौका देख कर उनके कार्यालय में ही दिनांक 30 अप्रेल 1932 को गोलियों से भून दिया गया।
क्रांतिकारी प्रद्योत कुमार मौका पर पकड़े गए पर प्रभाशू शेखर भागने में सफल रहे । कभी पकड़ें भी नहीं गए।
प्रद्योत की जेब में एक पत्र मिला जिसमे लिखा था ।
“हिजली कैदियों पर अमानुषिकअत्याचारों का हल्का सा प्रतिरोध “
आपको बता दें कि हिजली जेल में दिनांक 16 सितंबर 1931 को जेल के सैनिकों ने रात्रि को जेल में बंद क्रांतिकारियों पर लाठियों से हमला किया व गोलियों भी चलाई जिसमें 2 क्रांतिकारी संतोष कुमार व तारकेश्वर मित्रा शहीद हो गए थे।
प्रद्योत कुमार को मिदनापुर केंद्रीय कारागार में दिनांक 12 जनवरी 1933 को फांसी दी गई।
तीसरा शिकार मिस्टर BEJ बर्ग जिसकी नियुक्ति डगलस के बाद मिदनापुर कलेक्टर पद पर हुई।
बर्ग को दिनांक 2 सितंबर 1933 को फुटबॉल मैदान में मृगेंद्र कुमार दत्त व अनाथ बंधु पंजा ने गोलियों से उड़ा दिया ।
अनाथ बंधु मौका पर ही लड़ते हुए शहीद हुए तथा मृगेंद्र घायल हुए अगले दिन वे भी शहीद हो गए ।
इस मामले में निर्मल जीवन घोष, बृजकिशोर चक्रवर्ती, रामकृष्ण राय पर मुकदमा चलाया गया और उन्हें फांसी की सजा दी गई।
निर्मल घोष को दिनांक 26 अक्टूबर 1934 को , बृज किशोर चक्रवर्ती व रामकृष्ण राय को दिनांक 25 अक्टूबर 1934 को मिदनापुर केंद्रीय जेल में फांसी दी गई।
तीन फिरंगी कलक्टरों की बलि दिए जाने के बाद । संभवतः कोई फिरंगी मिदनापुर नियुक्ति के लिए तैयार नहीं हुआ ।
सरकार ने घुटने टेक दिए व मिदनापुर में भारतीय अधिकारी की नियुक्ति हुई।
शत शत नमन
शहीदों व क्रांतिवीरों को