आपका जन्म सन 1913 में अमृतसर ,पंजाब में हुआ था। आपके पिता श्री धनीराम मेहरा कपड़े के व्यापारी थे ।आपका मकान गली नैनसुख में था।
आप 1930 में ही उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध क्रांतिकारी शंभूनाथ आजाद के संपर्क में आए ।
उस समयआपकी आयु मात्र 17 वर्ष थी
अमृतसर में क्रांतिकारी दल बना हुआ था ।
जिसमें शंभूनाथ आजाद के अलावा अन्य सदस्य भी थे ।आपने उसी समय बम्ब बनाना सीख लिया था ।
असहयोग आंदोलन के समय आपने अपने एक साथी के साथ पुलिस थाने पर बम्ब डाला था।
विस्फोट से थाने का भवन काफी क्षतिग्रस्त हुआ । आप वहां से निकल लिए।
आपने अमृतसर के क्रांतिकारी दल के समक्ष यह प्रस्ताव रखा कि मद्रास को कार्यक्षेत्र बनाया जाए।
मद्रास के गवर्नर का वध किया जावे।
आपकी बात से सभी सहमत हो गए और मद्रास में क्रांति करने का कार्यक्रम बना।
धन की आवश्यकता थी।
साथियों ने डकैती डालने का प्रस्ताव रखा पर आप सहमत नहीं हुई।
आप का सोचना था पिताजी के पास काफी धन है इसलिए घर पर ही हाथ साफ़ किया जावे।
एक बार असफल कोशिश के बाद दूसरी बार घरवाले बाहर गए हुए थे
आपने घर से 5800 रुपए चुराए व साथियों सहित मद्रास का रुख किया।
रामपुरम में एक किराए का मकान लिया गया ।
क्रांतिकारी साथियों ने बैंक लूटने का कार्यक्रम बनाया पर आप सहमत नहीं थे । इसलिए साथ नहीं गए।
डाला सफलता पूवर्क डाला गया।
कुछ समय बाद शम्भूनाथ के अलावा सभी गिरफ्तार कर लिए गए।
1मई 1933 को मद्रास में बम्ब बनाने के बाद समुद्र किनारे बम्ब परिक्षण करने गए।
आप फिसलकर गिर गए और हाथ मे बम विस्फोट हो गया।
शक्तिशाली बम था ।
जो आपकी शहादत का कारण बना।
शत शत नमन