मदनलाल धींगड़ा

मदनलाल धींगड़ा : भारत की आज़ादी के लिए किया सर्वोच्च बलिदान

भारत के महान क्रांतिकारी मदनलाल धींगड़ा ने लंदन की धरती पर ऐसा इतिहास रचा, जिसने अंग्रेज साम्राज्य की नींव को हिला दिया।

कर्जन वायली का वध

मदनलाल धींगड़ा ने लंदन में सावरकर के परामर्श पर 1 जुलाई 1909 को जहाँगीर हॉल, लंदन में कर्जन वायली का गोली मारकर वध किया। उस समय वायली के पास खड़े पारसी डॉक्टर कोवासजी लालकाका ने धींगड़ा को रोकना चाहा, किंतु धींगड़ा ने उन्हें भी गोली मार दी।

ऐतिहासिक मुकदमा

धींगड़ा पर वेस्टमिनस्टर कोर्ट में 10 जुलाई 1909 को मुकदमा शुरू हुआ। यह मुकदमा मात्र 1 घंटा 30 मिनट में समाप्त हो गया। यह मुकदमा विश्व की सबसे कम अवधि में निर्णित हुआ।

धींगड़ा ने अपने कृत्य को गर्व से स्वीकार करते हुए कहा —

“Just as the Germans have no right to occupy this country, so the English people have no right to occupy India and it is perfectly justifiable on our part to kill any English man who is polluting our sacred land.”

न्यायालय में धींगड़ा का साहस

न्यायाधीश ने धींगड़ा को फांसी की सजा सुनाई। परंतु उनके चेहरे पर भय की कोई रेखा तक नहीं थी। उल्टा उन्होंने मृत्युदंड का फैसला सुनने के पश्चात् बड़े गर्व से कहा —

“Thank you my Lord. I am proud to have the honour to lay down my humble life for my Country.”

फांसी और अमर बलिदान

मदनलाल धींगड़ा को पेन्टेनविले जेल, लंदन में 17 अगस्त 1909 को फाँसी दे दी गई। उस समय वे मात्र 26 वर्ष के थे।

ब्रिटेन के तत्कालीन नेता विंस्टन चर्चिल ने भी धींगड़ा के उक्त बयान को देशभक्ति का बेहतरीन साहित्य बताया।