आपका जन्म 23 फरवरी 1881 में लॉयलपुर पंजाब में हुआ था।। आप पंजाब के किसान आंदोलन के अग्रणीय नेता व क्रांतिकारी थे।
शहीद भगतसिंह आपके भतीजे थे।
इस कॉलोनी में काश्तकारों को कृषि भूमि आवंटित की गई।
अंग्रेजों ने कॉलोनाइजेशन व दो आब बारी के नामसे कानून बना कर नहर बनाने के नाम पर किसानों से उनकी जमीन ले ली गई थी ।
भूमि पर बहुत ज्यादा कर लगा दिए गए। जिसके कारण किसानों आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा था।
आपने अंग्रेजी शासन को चुनौती देते हुए औपनिवेशिक व्यवस्था के विरुद्ध आंदोलन शुरू किया।
आपने भारत माता सभा का गठन किया ।
आपने दिनाँक 3 मार्च 1907 को लॉयलपुर पंजाब में किसानों की बहुत बड़ी सभा का आयोजन किया।
उस सभा में समाचार पत्र ” झांग स्याल” के एडिटर बांके दयाल नें “पगड़ी संभाल जट्टा, पगड़ी संभाल ओए “
गीत सुनाया।
यह गीत पंजाब के किसानों में इतना विख्यात हुआ की किसान आंदोलन का नाम ही
” पगड़ी संभाल जट्टा आंदोलन” पड़ गया ।
आपके इस आंदोलन में लाला लाजपत राय, सूफ़ीअम्बाप्रसाद भी साथ थे।
आपको ‘देशविद्रोही’ घोषित कर दिया गया था।
आपको 20 मई 1907 को बंदी बनाकर मांडले जेल में भेज दिया गया। आपका अधिकांश जीवन जेल में बीता।
सन 1908 में रिहाई के बाद आप सूफ़ीअम्बाप्रसाद के साथ ईरान चले गए।
प्रथम विश्व युद्ध के समय आप तुर्किस्तान व जर्मनी में रहे।
बर्लिन में आपने लाला हरदयाल के साथ स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रयासरत रहे।
आपको 1906 में लाला लाजपत राय जी के साथ देश निकाले का दण्ड दिया गया था।
आपके आंदोलन से प्रभावित होकर लोकमान्य तिलक ने भी आपकी प्रशंसा की थी।
आप सन 1909 में भारत छोड़ अपना विदेश में चले गए थे।
आपने इरान , तुर्की, जर्मनी, ब्राजील, स्विट्जरलैंड, इटली, जापान आदि देशों में रहकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहे।
द्वितीय विश्वयुद्ध के समय आप इटली आगये ।
इटली रेडियो से आपने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के आह्वान किया।
इटली की हर के बाद आपको बंदी बना लिया गया।
आप भारत के विभाजन से अति व्यथित हुए।
कहा जाता है कि आपने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को हिटलर और मुसोलिनी से मिलाया।
आपने 40 भाषाओं को सीख लिया था
आपका दिनाँक 15 अगस्त 1947 को आज़ादी के दिन ही डलहौजी में स्वर्गवास हुआ था।
शत शत नमन