रोशन लाल मेहरा

रोशन लाल मेहरा: एक साहसी क्रांतिकारी की वीरता की कहानी

प्रारंभिक जीवन और क्रांतिकारी सफर
रोशन लाल मेहरा का जन्म 1913 में अमृतसर, पंजाब में हुआ। उनके पिता, श्री धनीराम मेहरा, कपड़े के व्यापारी थे और उनका घर अमृतसर के गली नैनसुख में स्थित था। एक समृद्ध परिवार में जन्मे रोशन लाल का दिल शुरू से ही भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रति समर्पित था।

सन 1930 में, जब उनकी आयु केवल 17 वर्ष थी, उन्होंने उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध क्रांतिकारी शंभूनाथ आजाद से संपर्क किया और उनके साथ क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया। इस समय अमृतसर में क्रांतिकारी दल सक्रिय था, जिसमें शंभूनाथ आजाद और अन्य युवा क्रांतिकारी शामिल थे।

क्रांतिकारी प्रशिक्षण और पहले विस्फोट
रोशन लाल ने क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेने के साथ-साथ बम बनाना भी सीख लिया था। असहयोग आंदोलन के दौरान उन्होंने अपने एक साथी के साथ मिलकर पुलिस थाने पर बम फेंका। इस विस्फोट से थाने का भवन बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था, लेकिन रोशन लाल और उनका साथी वहां से भाग निकलने में सफल रहे।

मद्रास में क्रांतिकारी कार्यक्रम और धन की आवश्यकता
क्रांतिकारी दल की एक बैठक में रोशन लाल ने प्रस्ताव रखा कि मद्रास (अब चेन्नई) को क्रांतिकारी गतिविधियों का केंद्र बनाया जाए और वहां के गवर्नर का वध किया जाए। सभी साथी इस प्रस्ताव से सहमत हो गए और मद्रास में क्रांति करने की योजना बनाई। लेकिन इस योजना के लिए धन की आवश्यकता थी।

कुछ साथी डकैती डालने की योजना बनाने लगे, लेकिन रोशन लाल को यह विचार सही नहीं लगा। उनका मानना था कि उनके पिता के पास पर्याप्त धन है, इसलिए वह घर पर ही चोरी करने का विचार करते हैं। पहली बार कोशिश असफल रही, लेकिन दूसरी बार जब उनके घरवाले बाहर गए हुए थे, तो उन्होंने 5800 रुपये चुराए और अपने साथियों के साथ मद्रास के लिए रुख किया।

रामपुरम में ठहराव और बैंक लूटने का असफल प्रयास
मद्रास पहुंचने के बाद, उन्होंने रामपुरम में एक किराए का मकान लिया। क्रांतिकारी साथियों ने बैंक लूटने की योजना बनाई, लेकिन रोशन लाल इससे सहमत नहीं थे और इसलिए उन्होंने साथ नहीं दिया। हालांकि, बैंक लूटने का प्रयास सफल रहा, लेकिन इसके बाद शंभूनाथ आजाद के अलावा बाकी सभी साथी गिरफ्तार कर लिए गए।

शहादत: बम विस्फोट में वीरता का पराक्रम
1 मई 1933 को, मद्रास में बम बनाने के बाद, रोशन लाल और उनके साथी समुद्र किनारे बम का परीक्षण करने गए थे। दुर्भाग्यवश, इस परीक्षण के दौरान रोशन लाल फिसलकर गिर गए और उनके हाथ में रखा बम विस्फोट हो गया। यह शक्तिशाली बम था, जिससे रोशन लाल की शहादत हो गई। उनका बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की कड़ी में एक अमिट उदाहरण बन गया।

रोशन लाल मेहरा: शहादत और सम्मान
रोशन लाल मेहरा की वीरता और बलिदान ने उन्हें एक अमर क्रांतिकारी बना दिया। उन्होंने अपनी जीवन की सबसे बड़ी परीक्षा दी, भारतीय स्वतंत्रता के लिए अपनी जान की कुर्बानी दी। उनकी शहादत आज भी हमें यह सिखाती है कि देश की आज़ादी के लिए कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।

उनकी कहानी एक प्रेरणा है, जो हमें अपने कर्तव्यों और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझने की प्रेरणा देती है। उनके जीवन और संघर्ष को हमेशा याद किया जाएगा।

शत शत नमन उनके बलिदान को।