अंबिका चक्रवर्ती

अंबिका प्रसाद चक्रवर्ती चटगांव सशस्त्र क्रांति के योद्धा थे। मास्टर “दा” भारत के महान क्रान्तिकारी सूर्य सेन के नेतृत्व में 18 अप्रैल 1930 को भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा चटगांव (अब बांग्लादेश में) में पुलिस और सहायक बलों के शस्त्रागार पर कब्जा किया गया था।

विस्तृत रूप में हमारी वैब पर “सुपर एक्शन चटगांव ” पढ़े।

इस योजना में टेलीफोन और टेलीग्राफ तारों को काटने और ट्रेन की गतिविधियों को बाधित करने वाले दल में अंबिका चक्रवर्ती ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी ।

22 अप्रैल 1930 की दोपहर को चटगांव छावनी के पास जलालाबाद पहाड़ियों में क्रांतिकारियों को कई हज़ार सैनिकों ने घेर लिया।

इस लड़ाई में अंबिका भी घायल हुए थे पर पलायन में सफल हो गए।

इस घटना के प्रतिरोध पर क्रांतिकारियों को पकड़ने के लिये एक तीव्र छापेमारी शुरू हुई।

चट गांव एक्शन में अंबिका को 1930 में फांसी की सजा सुनाई गई पर बाद इसे आजीवन कारावास में बदल कर अंबिका को अंडमान जेल में भेज दिया गया।

जेल में उनका झुकाव साम्यवाद की तरफ हो गया । जेल से रिहा होने के बाद अंबिका कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बने।

कम्युनिस्ट आंदोलन में अंबिका 1949 से 1951तक जेल में रहे।

1952 में पश्चिमी बंगाल विधानसभा से निर्वाचित हुए।

अंबिका का जन्म जनवरी 1892 में बर्मा में हुआ था।

6 मार्च 1962 को एक सड़क दुर्घटना में अंबिका का देहांत हुआ।

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