बाबा पृथ्वी सिंह “आजाद”

      

आपका जन्म 15 सितम्बर 1892 में गांव लबरु रायपुररानी,   पटियाला, पंजाब में हुआ था।

आप गदर पार्टी के संस्थापक सदस्य थे।
लाहौर षड्यंत्र(प्रथम) के नाम से चलाये गए  मुकदमा में आपको  फांसी की सजा दी गई थी लेकिन अपील में इसे उम्र कैद काला पानी की सजा में बदल कर आपको अंडमान सेल्युलर  जेल में भेज दिया गया।

अंडमान जेल से आपको नागपुर केंद्रीय जेल में भेजा जा रहा था।इस यात्रा में आप दिनाँक 29 नवंबर 1922 को चलती ट्रेन से फरार हो गए व 16 वर्ष तक फरार रहे।
  आप का संपर्क चंद्र शेखर आज़ाद व हिदुस्तान रिपब्लिकन सोसलिस्ट एसोसिएशन था।

सुखदेव ,भगत सिंह ,राजगुरु को फांसी दिए जाने के पश्चात आप दुर्गा भाभी व सुखदेव राज के साथ बंगाल के गवर्नर  मैल्काल्म हैली का वध करने की योजना बना कर कलकत्ता गए ।

दिनांक 8 अक्टूबर 1930 को
आप ,दुर्गाभाभी व  सुखदेवराज एक कार में लेमिंगटन रोडकलकत्ता में बंगाल गवर्नर के घर तक पहुंच गए पर वहां पर भीड़ ज्यादा होने के कारण एक्शन नहीं लिया जा सका।

इसलिए आप लोगों ने पुलिस थाना पर आक्रमण करने की योजना बनाई।

थाने के आगे यूरोपीयन जोड़ा खड़ा था जो दुर्गा भाभी व आपके द्वारा की गई फायरिंग से मारा गया और एक अधिकारी का सार्जेंट टेलर घायल हुआ।

आप सब इस एक्शन के बाद फरार हो गए।
एक्शन के समय आपकी कार के चालक रहे , बापट ने अपने बयानों यह इस घटना के बारे में बताया।
पर इसे न्यायालय द्वारा स्वीकार नहीं किया गया ।

सन 1938 में आपने महात्मा गांधी के समक्ष आत्मसमर्पण किया तो आपको  गिरफ्तार कर जेल में भेज दिया गया।
  
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 1939 में सरकार द्वारा राजनीतिक कैदियों  सार्वजनिक माफी देकर छोड़ा गया तब आपको भी रिहाई मिली।

आपको  ‘जिन्दा शहीद’  के नाम से भी जाना जाता है।

आपके द्वारा लिखित पुस्तक ‘लेनिन के देश में’ बहु चर्चित रही।
स्वतंत्रता के पश्चात वे पंजाब के भीम सेन सचर सरकार में मन्त्री रहे।
भारत की पहली संविधान सभा के भी सदस्य रहे।
सन 1977 में भारत सरकार ने आपको पद्मभूषण से अलंकृत किया।

दिनाँक 5 मार्च 1989 को 96 वर्ष की आयु में आपका स्वर्गवास हुआ।आजादी के बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के मुख्यालय अजय भवन में जीवन पर्यन्त रहे।

नमन