ऑपरेशन राइटर्स बिल्डिंग

भारतीय सशस्त्र क्रांति में बंगाल के क्रांतिवीर बिनॉय@,विनय बॉस , बादल @सुधीर , दिनेश गुप्त व कन्हाई भट्टाचार्य@ बिमल गुप्त का बलिदान सदैव स्मरणीय है।

बिनॉय@बिनय कृष्ण बसु का जन्म 11 सितंबर 1908 को रोहिताभ जिला मुंशीगंज  ( वर्तमान बांग्लादेश )में  हुआ था।

क्रांतिवीर दिनेश गुप्त का जन्म 6 सितम्बर, 1911 को पूर्वी सिमलिया (वर्तमान बांग्लादेश )में हुआ था।

आप सुभाष चंद्र बोस द्वारा गठित क्रांतिकारी संगठन ” बंगाल वॉलयंटीयर्स “, के सदस्य थे।

भारतीय क्रांतिकारियों के प्रति अत्याचारपूर्ण व्यवहार  रखने वाले पुलिस व सिविल अधिकारियों का वध करना भारतीय क्रांतिकारियों के एजेंडे में था।
इस एक्शन को “ऑपरेशन फ्रीडम” का नाम दिया गया ।

 

बंगाल पुलिस महानिदेशक ( जेल) कर्नल एन एस सिम्पसन ऑपरेशन फ्रीडम का  टारगेट था।

कलकत्ता में डलहौजी स्क्वायर पर राइटर्स बिल्डिंग एक सचिवालय था।
इसमें कई विभागों के अधिकारियों के कार्यालय थे।

क्रांतिवीरों  ने राइटर्स बिल्डिंग में घुसकर हमला करके सिम्पसन व अन्य बड़े अधिकारियों का वध करने का कार्यक्रम तय किया ।

योजनांतर्गत तीनो वीर 8 दिसम्बर 1930   को बिल्डिंग में घुसे व पहले सिम्पसन को उसके कार्यालय गोलियां मारी व अंधाधुंध फायरिंग की।

सामने से पुलिस ने भी फायरिंग शुरू कर दी ।  जब पुलिस घेरा बढ़ता दिखा तो  बादल गुप्ता ने ज़हर खाकर व  बिनॉय बसु और दिनेश गुप्ता ने स्वयं को गोली मारकर आत्मबलिदान किया

बादल  मौके पर ही शहीद हो गए।  बिनॉय बसु और दिनेश गुप्ता को हॉस्पिटल ले जाया गया।
 
बिनॉय बसु ने दिनाँक 13 दिसंबर 1930 को शहादत दी।

बिनॉय मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान में बताया कि बंगाल के पुलिस महानिदेशक जे एफ लोमैन को  भी बिनॉय ने ही ठिकाने लगाया था।
 
दिनाँक 29 अगस्त 1930 को लोमैन को तीन गोली व इसके साथ  पुलिस अधीक्षक हॉडसन को दो गोली मार कर बिनॉय फरार हो गए थे।
मुकदमा चलाया जा कर फांसी की सजा दी हुई अलीपुर जेल में दिनांक 7 जुलाई 1931 को फांसी दी गई।

राइटर्स बिल्डिंग सिम्पसन ऑपरेशन में ग्रेशम, नेल्सन, मैकग्रेगर, ट्वेन्टीम, तवयनम, और  प्रेन्टिस नामक वरिष्ठ अंग्रेज़ अधिकारीयों को गंभीर रूप से घायल हुए थे।


दिनेश को  ट्रिब्यूनल अध्यक्ष न्यायाधीश आर .आर .गार्लिक ने फांसी की सजा सुनाई थी।

दिनेश को फांसी दिए जाने के मात्र 20 दिन बाद दिनाँक 27 जुलाई 1931 को कन्हई लाल दत्त @बिमल गुप्त ने  गार्लिक को भरी अदालत में गोली मार दी।

उपस्थित पुलिसकर्मियों ने फायरिंग की जिससे कन्हई मौका पर ही शहीद हो गए।
उनकी जेब से एक पर्ची मिली इस पर लिखा था।
दिनेश गुप्त को अन्याय पूर्ण फाँसी का दंड देने का पुरस्कार मृत्यु से प्राप्त कीजिए।
(विमल गुप्त)”

थे।


 


शत शत नमन शहीदों को

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