चारु चंद्र बोस बंगाल के क्रांतिकारी थे जो शारिरिक रूप से बहुत कमजोर दिखाई देते थे।
उनके दाहिने हाथ कीअंगुलिया नहीं थी।
आपने दाहिने हाथ के पिस्तौल बांधकर बांये की अंगुली से घोड़ा दबाकर पिस्तौल चलाने का अभ्यास किया।
सशस्त्र क्रांति के क्रम में बंगाल अनुशीलन समिति के क्रांतिकारी पप्रफुल्ल चाकी व खुदीराम बोस द्वारा मुजफ्फरपुर में कसाई काजी किंग्फोर्ड की गाड़ी पर बम फेंका था।
इसके बाद पुलिस ने छापे मारे और बारीन्द्र दल के 38 क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर उन पर मुकदमा चलाया गया ।
जिसे इतिहास में अलीपुर षड्यंत्र कहा जाता है ।
हम उसे अलीपुर एक्शन कहेंगे।
अलीपुर मामले में की अदालत सुनवाई में सरकार की तरफ से आशुतोष विश्वास पैरवी करते थे।
आशुतोष ने क्रांतिकारियों को सजा दिलाने के उद्देश्य से झूठे गवाह बनाकर पेश किए।
जिसके कारण वह क्रांतिकारियों के टारगेट पर था ।
दिनाँक 10 फरवरी 1909 को आशुतोष विश्वास अलीपुर अदालत से निकलने वाले थे।
क्रांतिवीर चारु चंद्र ने आशुतोष को गोली से गोलियों से उड़ा दिया ।
चारु मौका पर ही गिरफ्तार कर लिए गए थे।
चारुपर मुकदमा चला फाँसी की सजा सुनाई गई
चारु को दिनांक 19 मार्च 1999 को केंद्रीय कारागार अलीपुर में फांसी दे दी गई।