:- क्रांतिवीर वीर -:
-:- भगवतीचरण वोहरा -:-

आपका जन्म 4 जुलाई 1903 को आगरा में हुआ था। आपके पिता श्री शिवचरण रेलवे में अधिकारी थे। जो कालांतर में आगरा से लाहौर आ गए थे ।
आपने नेशनल कॉलेज , लाहौर से बी.ए.  की थी ।उस भगत सिंह व सुखदेव  भी इसी कॉलेज में थे । आपने भगत सिंह, सुखदेव व अन्य साथियों की एक अध्ययन मंडली बनाई थी । आप सभी देश की आज़ादी के लिए गहरा अध्ययन करते थे।
क्रांतिकारी दल “नौजवान भारत सभा”  के गठन में आपकी अहम भूमिका थी । इसके  घोषणा पत्र बनाने में भी मुख्य भूमिका आपका ही थी।
शचिंद्र सान्याल  द्वारा तैयार ” दि रेवोल्यूशनरी “‘  पर्चा  1 जनवरी 1925 को  बंटवाने का काम भी आपने किया था।
आप बम बनाने में दक्ष थे। आपने काकोरी वीरों को लखनऊ जेल से छुड़ाने हेतु काफी तैयारियां की थी परंतु सयुंक्त प्रांत व  पंजाब के दो अन्य क्रांतिकारियों की सहमति नहीं होने के  कारण यह एक्शन नहीं लिया जा सका ।
लाहौर में कश्मीर बिल्डिंग का कमरा नंबर 69 आपके नाम से किराए पर लिया हुआ था। इसी में आपने बम बनाने का कारखाना स्थापित किया गया था
इस फैक्ट्री में 15 अप्रैल 1936 को  पुलिस ने छापा मारा इसके बाद आपको वहां से फरार होना पड़ा। केंद्रीय असेंबली में बम डाले जाने के बाद भगत सिंह व बटुकेश्वर दत्त मौका पर ही गिरफ्तार हो गए थे । लाहौर बम फैक्ट्री में सुखदेव, किशोरीलाल व जय गोपाल की गिरफ्तारी हो चुकी थी।
सहारनपुर बम फैक्ट्री में तीन अन्य साथियों की गिरफ्तारी हो चुकी थी
उस समय आप ,यशपाल ,आज़ादजी व वैशंपायन फ़रारी थे।
इन विकट परिस्थितियों में आपने श्रद्धानंद बाजार दिल्ली की एक गली में मकान किराए पर लिया और इसमें बम बनाने का काम शुरू किया।
उन दिनों  वायसराय इरविन व  गांधीजी में समझौता वार्ता होनेवाली थी ।आप कांग्रेस व गांधी जी की गिड़गिड़ाने की नीति के पक्ष में नहीं थे।  
आपका कहना था गांधीजी पूंजीपतियों के एक प्रतिनिधि के रूप में एक साम्राज्यवादी के साथ  बातचीत करेंगे। जिससे देश की जनता का कोई लाभ नहीं होगा।
इसलिए आपने यह निर्णय लिया कि वायसराय इरविन की स्पेशल ट्रेन को बम्ब से  उड़ाकर वॉयसराय को ही मार दिया ताकि इरविन- गांधी  वार्ता ही नहीं हो सके ।आपने इस संबंध में इरविन के कार्यक्रम का सुराग लगा कर अपने साथियों  यशपाल ,धर्मपाल व इंद्रपाल के साथ समस्त कार्यक्रम तैयार कर लिया  ।
वायसराय की स्पेशल ट्रेन दिल्ली से मथुरा 23 दिसंबर 1929 को कोल्हापुर  जानी थी।
आपने मथुरा रोड पर पांडवों के किले के पास  रेलवे लाईन पर बम्ब लगा दिये।
बम्ब विस्फोट जोरदार हुआ गाड़ी का एक डिब्बा भी उड़ गया पर दुर्भाग्य से इरविन बच गया।
आपने यह एक्शन दल की केंद्रीय समिति के निर्णय के विरूद्ध किया था। आपने नाराज़ होकर दल के राजनीतिक महत्व को समझाते हुए घोषणा पत्र भी आज़ाद जी को लौटा दिया ।  
इस एक्शन के बाद गांधी जी ने  ईश्वर को धन्यवाद देते हुए इरविन को तार भेजकर सहानुभूति प्रकट की ।
क्रांतिकारियों के विरुद्ध कांग्रेस अधिवेशन में क्रांतिकारी एक्शन के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव पारित किया गया। गांधीजी ने समाचार पत्र यंग इंडिया में “कल्ट ऑफ द  बम” शीर्षक से एक लेख प्रकाशित किया ।
इसके उत्तर में भगवती चरण वर्मा ने न केवल गांधी जी के लेख का उत्तर दिया बल्किक्रांतिकारीयों की राजनीतिक समझ व उद्देश्यों का उलेख करते हुए  ‘ फिलॉस्फी ऑफ द बम” लेख प्रकाशित किया।इस लेख को जेल में भगतसिंह द्वार अंतिम रूप दिया गया था।
आपने आजाद जी इसे विचार विमर्श कर भगत सिंह व साथियों को जेल  गाड़ी पर हमला करके छुड़ाने का कार्यक्रम तय किया।
इस एक्शन के क्रम में दिनांक 28 मई 1930 को रावी नदी के तट पर बम परीक्षण करते समय  दुर्भाग्यवश बम आपके हाथ में ही फट गया और आपका शरीर क्षत-विक्षत हो गया । आप आपने अपने प्राणों की आहुति  दे दी ।
अंतिम समय भी आपने कहा भगतसिंह व साथियों को छुड़ाने के एक्शन पूर्ण किया जाता है तो ही  आत्मा को तभी शांति  ।
भगवती चरण वोहरा की धर्मपत्नी जिसे क्रांतिकारी दल में दुर्गा भाभी के नाम से जाना जाता है का योगदान स्मृतियोग्य है।
आप दृढ़निश्चयी , बहादुर , बम बनाने में दक्ष ही नहीं क्रांतिकारी दल के में उच्च कोटिके विचारक व प्रचारक थे।
अपने क्रांतिकारी गतिविधियों में कई पर्चे लिखे जो उबलब्ध नहीं है।आपने एक पुस्तक “मैसेज ऑफ इंडिया ” लिखी जो नौजवानों को काफी प्रिय थी।

शत शत नमन क्रांतिवीर को

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