::– शहीद खुदीराम बोस –::

::– शहीद खुदीराम बोस –:: जन्म 3 दिशम्बर 1889 मिदनापुर (बंगाल) शहादत 11अगस्त 1908 खुदीराम बोस कलकत्ता अनुशीलन समिति (बारीन्द्र घोष दल )के सदस्य थे । यह अनुशीलन समिति भारत को अंग्रेजों से मुक्त करवाने के लिए सशस्त्र क्रांति के रास्ते पर थी। क्रांतिकारीयों द्वारा देश एंव विदेश से अस्त्र- शस्त्र एकत्रित किए जाते थे । देश विदेश में बम्ब बनाना सीख रहे थे व भारत मे बम्ब बनाना शुरू कर दिया गया था। अंग्रेजी शासन के निर्मम व क्रूर अधिकारीयों व पुलिस मुखवीरों को क्रांतिकरी अपने निशाने पर रखते थे । ऐसा ही एक अधिकारी डगलस किंग्स फोर्ड क्रांतिकारीयों के निशाने पर था । किंग्स फोर्ड कोलकाता में चीफ प्रेसिडेंसी मजिस्ट्रेट था उसने क्रांतिकारी समाचार पत्र युगांतर , वंदे मातरम , संध्या , नवशक्ति व अन्य के संपादकों पर मुकदमा चलाकर उन्हें दंडित किया था। किंग्सफोर्ड ” कसाई काजी” के नाम से कुख्यात था। बारीन्द्र क्रांतिकारी दल ने किंग्सफोर्ड का वध करने का निर्णय किया । क्रांतिकारीयों ने किंग्फोर्ड फोर्ड को एक पार्सल बम्ब भेजा पर फोर्ड ने पार्सल खोला ही नहीं । सरकार को खबर होने पर किंग्सफोर्ड का स्थानांतरण कोलकाता से मुजफ्फरपुर कर दिया गया । क्रांतिकारी प्रफुल्ल चाकी व खुदीराम बोस को किंग्सफोर्ड का वध करने का दायित्व सौंपा गया । दोनों क्रांतिकारी मुजफ्फरपुर आये व किंग्सफोर्ड की बघी गाड़ी व गतिविधियों पर नज़र रखी तथा मौका मिलते ही दिनांक 30 अप्रेल 1908 को किंग्स फोर्ड की गाड़ी को बम्ब से उड़ा दिया । दुर्भाग्य से गाड़ी में किंग्सफोर्ड नहीं था । सरकारी वकील कैनेडी की पत्नि व पुत्री थी । गाड़ी पर बम्ब फेंकने के बाद चाकी व खुदीराम बोस अलग अलग दिशा में भागे। प्रफुल्ल चाकी ने पुलिस मुकाबले के बाद स्वयं को गोली मारकर आत्म बलिदान किया । पर खुदीराम बोस को पुलिस द्वारा पकड़ लिया गए ।मुकदमा चला व खुदीराम को मृत्यु दंड की सजा सुनाई गई तथा दिनाँक 11 अगस्त 1908 को खुदीराम बोस को फाँसी दी गयी । उस समय खुदीराम की आयु मात्र 19 वर्ष थी। शत शत नमन क्रांतिवीर को

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