मन्शा सिंह

Patriots Of India - Indian Flag

प्रथम विश्वयुद्ध के समय आप जर्मनी के मोर्चे पर थे ।
अंग्रेजों ने प्रथम विश्व युद्ध के समय यह वायदा किया था कि युद्ध के पश्चात भारत को आजाद कर दिया जाएगा।

अंग्रेजों की  वायदाखिलाफी से रुष्ट होकर आपने फ़ौज की नोकरी छोड़ दी।

उस समय दयानंद उर्फ दयाराम क्रांतिकारी दल गठन हेतु बंगाल से आए हुए थे ।

आप अमृतसर नोजवान सभा के सदस्य बन गए ।

क्रांतिकारी दलों द्वारा हथियार खरीदने हेतु धन के प्राप्ति के लिए बड़े जमीदारों के घर डाके डाले जाते थे ।
इसी क्रम में आपने मनौली गांव के जमीदार पूर्ण सिंह के घर पर दल के शस्त्र हेतु डाका डाला था ।

दिल्ली में शंभू नाथ आजाद के निर्देशानुसार आप हथियार लेने राजस्थान आए भी थे।

मनाली डकैती का एक सदस्य चंदन सिंह पकड़ा गया।
वह सरकारी गवाह बन गया। उसकी सूचना पर आप को गिरफ्तार किया गया ।
मुकदमा के बाद आपको फाँसी की सजा सुनाई गई ।
आपके साथी नरेंद्र नाथ पाठक व रामचंद्र भट्ट का दस दस वर्ष के कारावास  की सजा हुई।

आपको  दिनाँक 6 अप्रैल 1932 को दिल्ली केंद्रीय जेल में फाँसी दी गई।

शत शत नमन

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