बाल क्रांतिकारी शान्तिघोष व सुनीति चौधरी

दिनाँक 14 दिसंबर 1931
डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट कॉम्मिला (त्रिपुरा),
चार्ल्स जेफरी बकलैंड स्टीवन,
के बंगले पर दो 14 -15 वर्षीय  बच्चियों ने जिला मजिस्ट्रेट  को क्रिसमस पूर्व उपहार कैंडी व चॉकलेट दिया।

मिस्ट्रेस स्टीवेंस चॉकलेट खाते हुए कहा –
These are delicious
बच्चीयों ने अपने पिस्तौल से  गोलियों चलाते हुए कहा-
‘Well how about this one mister magistrate’
—-
मिस्टर ,स्टीवेंस हमेशा के लिए दुनिया छोड़कर चले गए।

ये थी फैजुनिशां बालिका विद्यालय , कॉम्मिला की 8वीं कक्षा छात्राएं

शांति घोष  व सुनीति चौधरी
दोनों ने जिला मजिस्ट्रेट को मिलने हेतु  भेजी  चिट पर  अपने नाम लिखे थे  इलासेन व  मीरा देवी ।

एक पुस्तकों में यह भी लिखा गया है कि दोनों बच्चियों ने तैराकी  क्लब बनाने की अनुमति हेतु आवेदन किया ।
एक पुस्तक में लिखा है  बच्चियों ने तैराकी की प्रतियोगिता में DM को बुलाने हेतु निमंत्रण दिया ।

जो भी हो दोनों बच्चियों ने डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट पर पिस्तौल से गोलियां चलाई व डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट मर गया।

इस एक्शन की के पीछे थी क्रांति –
ये बालिकायें बंगाल के  क्रांतिकारी दल युगान्तर की सदस्य थी ।
जिन्हें हथियार चलाने का प्रशिक्षण भी दिया गया था। एक्शन के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया था।
भारतीय क्रांतिकारियों के प्रति अत्याचारपूर्ण व्यवहार  रखने वाले पुलिस व सिविल अधिकारियों का वध करना युगान्तर के एजेंडे में था।
इस एक्शन को “ऑपरेशन फ्रीडम” का नाम दिया गया था।
इसका उद्देश्य अत्याचारी अधिकारियों को दण्ड देना व फ़िरंगियों के मन मे खौफ पैदा करना था।

इसी ऑपरेशन फ्रीडम में
डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट कॉम्मिला ,चार्ल्सजेफरी बकलैंड स्टीवन,टारगेट पर थे।

इस ऑपरेशन को बालिका क्रांतिकारियों ने अंजाम दिया

सुनीता चौधरी का जन्म 22 मई 1917 को गांव की टीमपेरा उपखंड कोमिला ,त्रिपुरा में हुआ था ।
वह आठवीं कक्षा की छात्रा थी और इसकी आयु 14 वर्ष थी

शांति घोष का  जन्म 22 नवंबर 1916 को कलकत्ता में हुआ था। वह छतरी संघ की संस्थापक सदस्य थी।
वह कालांतर में युगांतर से जुड़ गई।

दोनों बालिकाओं को जिला मजिस्ट्रेट का  वध करते ही  मौका  गिरफ्तार कर लिया गया था।
दोनों पर हत्या आदि के लिए मुकदमा  चलाया गया।जिसका निर्णय

27 फ़रवरी 1932 को हुआ।
दोनों की आयु 14 वर्ष से कम थी। इसलिए फाँसी की बजाय उम्र कैद की सजा दी गई।
विश्व युद्ध के बाद  सरकार की गई सामूहिक माफी का  लाभ दोनों बालिकाओं को भी मिला और 1939 में दोनों जेल से रिहा  हुई।

शांति घोष ने जेल से निकलने के बाद पहले कम्युनिस्ट पार्टी के क्रियाकलापों में भाग लिया।
सन 1942 में शांति ने कांग्रेस की सदस्यता ली।
1942 में ही शांति घोष का प्रोफेसर चितरंजन दास  विवाह हुआ ।
शान्ति 1952 से 1962 तक बंगाल विधान परिषद की सदस्य तथा 1967 में भी पश्चिम बंगाल में की विधायक रही है।

शांति ने अपनी आत्मकथा अरुण वाहिनी (अरुण बहनी )लिखी।
शांति घोष का देहांत 28 मार्च 1989 को हुआ।

सुनीति चौधरी पहले दीपाली संघ की सदस्य थी । फिर  युगान्तर की इब्राहिमपुर शाखा  सदस्य बन गई।

सन 1939 में जेल से रिहा होने के बाद समिति ने मेडिकल शिक्षा ली व सन 1947 में डॉक्टर MBBS बनी ।
मजदूर नेता प्रद्योत कुमार से विवाह किया।
सुनीति का दिनाँक 12 जनवरी 1986 को स्वर्गवास हुआ

शत शत नमन

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