आपका जन्म 15 सितंबर 1891 हो त्रिवेंद्रम त्रावणकोर में हुआ था। (जन्म की तिथि विवाद है)
आप तकनीकी शिक्षा हेतु
इटली गए और आप ने 12 भाषाएं सीखी।
सन 1914 में ज्यूरिख में इंटरनेशनल इंडिया कमेटी का गठन हुआ था ।
उसी समय आपने म्यूनिख में इंडियन इंटरनेशनल कमेटी का गठन किया था।
दोनों संस्थाओं का लक्ष्य देश की आजादी था।
कालांतर में अक्टूबर 1914 बर्लिन सभा मे दोनों संस्थाओं को एकीकरण कर दिया गया।
इस संस्था में राजा महेंद्र प्रताप बरकतउल्ला, बिरेन्द्र चट्टोपाध्याय, तारक नाथ, हेमचंद्र भी थे।
आपके जर्मनी के सम्राट केसर से संपर्क थे।
आपने बम बनाने व बम बरसा करने का प्रशिक्षण लिया ।
आप जर्मन नौसेना में भी रहे थे
काबूल की राजा महेन्द्र प्रताप द्वारा अस्थाई सरकार में आप पर विदेश विभाग का दायित्व था।
आप 1919 में दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी से मिले थे ।
आपने 1924 में एक प्रदर्शनी लगाई थी जिसमें स्वतंत्रता से संबंधित चित्र लगाए ।
आपके नेहरूजी व विट्ठल भाई पटेल से भी संपर्क थे।
कहा जाता है आपने प्रथम विश्व युद्ध के समय बर्मा के रास्ते भारत मे अंग्रेजों पर आक्रमण की योजना बनाई थी।
जिसके आधार पर आप ने बर्लिन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस को युद्ध न नीतियों के बारे में बताया था ।
आपने ही जापान से बर्मा सेना ले जाने की योजना का सुझाव दिया था।
आप इटली गए थे तो पीछे से
नाजियों ने बर्लिन में आपकी संपत्ति जप्त कर दी ।
विरोध करने पर आप को दंड दिया गया । आप मूर्छित हो गए परंतु आप का इलाज नहीं करवाने दिया गया।
23 मई 1934 को आप का स्वर्गवास हुआ
यह भी कहा जाता है कि रासबिहारी बोस से विचार-विमर्श कर आप सावरकर व अन्य क्रांतिकारीयों को अंडमान जेल से मुक्त कराने के लिए जापानी पनडुब्बी लेकर गए ।
आपकी पनडु्बी नष्ट कर दी गई।
शत शत नमन