भवानीभट्टाचार्य

भवानी भट्टाचार्य | Bhavani Bhattacharya

सर जॉन एंडरसन क्रांतिकारियों के प्रति निर्दयता पूर्ण दमन के लिए कुख्यात था ।

एंडरसन ने आयरलैंड में वहां के क्रांतिकारियों पर बहुत अत्याचार किए थे।

इसलिए इसलिए उसे बंगाल में इसे विशेष रुप से बुलाया गया था।

क्रांतिकारियों ने भी सर जॉन एंडरसन को अपने टारगेट पर ले लिया।

सर जॉन एंडरसन के वध  हेतु तैयारियां की जा रही थी।

सर जॉन एंडरसन  मई 1934 में लेबंग रेस कोर्स, दार्जिलिंग में  घुड़दौड़ देखने हेतु गए हुए थे।

क्रांतिकारी भी अपने टारगेट के पीछे योजना बनाकर दार्जिलिंग पहुंच गए ।

दिनाँक 8 मई 1934 को रेसकोर्स मैदान में  भवानी भट्टाचार्य व रबिन्द्रनाथ नाथ ने एंडरसन पर पिस्तौल से गोलियां चलाई  दुर्भाग्य एंडरसन  बच गया।

भवानी ,रबिन्द्र,मनोरंजन, उज्जला, मधुसूदन ,सुकुमार व सुशील कुल सात क्रांतिकारियों पर मुकदमा चलाया गया।

विशेष अदालत ने भवानी प्रसाद भट्टाचार्य रविंद्र ,नाथ बनर्जी वह मनोरंजन बनर्जी को फांसी की सजा सुनाई । अन्य को उम्र कैद की सजा सुनाई ।

कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा अपील में भवानी प्रसाद भट्टाचार्य व रविंद्र नाथ बनर्जी को दी गई मृत्युदंड की सजा को बहाल रखा ।

मनोरंजन को  गई मृत्युदंड की सजा को उम्र कैद में बदल दिया। अन्य की उम्र कैद की सजा को   14 वर्ष के कारावास मे बदल दिया गया।

भवानी प्रसाद भट्टाचार्य को 3 फरवरी 1935 को फांसी दे दी थी।

शत शत नमन